उनकी गिरफ्तारी के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
भ्रष्टाचार विरोध के आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी आज खुद भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गई है।
उन्होंने ने तो अपना नामकरण "गजनी" के रूप में कर लिया है। जब भी उनसे कुछ भी सवाल पूछा जाता है, ये महाशय बताते है की मेरी याद्दाश्त चली गई है। मतलब अब इनको कुछ भी याद नहीं है, जिंदगी के बारे में, वाह! क्या मजाक करते है साहब आप।
भ्रष्टाचार करो आप और बोलते हो की भ्रष्टाचार किया ही नहीं। यह तो आरोप लगा रहे हैं, यह तो मोदी-शाह की चाल है तो बीजेपी की चाल है। बीजेपी सिसोदिया को बीजेपी मे शामिल करने के लिए ऑफर दे रही है, हमारे विधायक तोड़ने के लिए पैसे खर्च कर रही है, "ऑपरेशन लोटस" चल रहा है। मतलब कुछ भी कुछ भी बकते रहते हो।
आम आदमी पार्टी के पतन का एक और कारण है कि उनके जितने भी नेता पार्टी में है वह सब केजरीवाल के चाटुकार माने जाते हैं यानी कि वफादार।
आम आदमी पार्टी के सबसे वफादार माने जाते हैं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान। यह वही भगवंत मान है जो कॉमेडियन है और हमेशा ऑफिस में दारु पी के टल्ली रहता है। इस बेवड़े को केजरीवाल ने पंजाब मुख्यमंत्री बनाया ताकि इसकी लोकप्रियता केजरीवाल से ज्यादा बढ़ ना सके।
आम आदमी पार्टी में पिछले कई वर्षों से बहुत बड़े-बड़े नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया।
उनका कहना है कि पार्टी में केजरीवाल उन्हीं नेताओं को पसंद करते हैं, जो उनकी बात मानता हो, जो उनकी हां में हां मिलाए।
इसी कारण संजय सिंह जैसे टिकट ब्लैकिया पार्टी में अपना कद बढ़ा रहे हैं क्योंकि वह पार्टी के लिए फंड जुटाने में सहयोग करते हैं।
क्या ये सहयोग है? इसे थोड़ी सहयोग कहते हैं, इसे तो खुला भ्रष्टाचार कहते हैं।
संजय सिंह जहां भी विधानसभा के चुनाव हो, उपचुनाव हो, नगर पालिका के चुनाव हो कुछ भी हो उस समय वह अपना टिकट ब्लैक करते हैं। 15–15 करोड़ 20–20 करोड़ इन दामों पर अपना टिकट बेचते हैं उदाहरण के तौर पर हिमाचल में आम आदमी पार्टी ने 200 करोड़ का चंदा इकट्ठा किया, अपना टिकट गुंडो और माफिया बेच कर।
यदि आपको आम आदमी पार्टी से राज्यसभा का उम्मीदवार बनना हो या राज्यसभा जाना हो तो आपको ₹50 करोड़ देने पड़ते हैं।
इन लोगों ने राज्यसभा के लिए भी अपना रेट कार्ड जारी कर दिया है।
आम आदमी पार्टी की जितनी भी बात कही जाए उतनी कम है इन लोगों ने इतना भ्रष्टाचार मचा दिया है कि क्या बात करें इन लोगों ने सीधे-साधे वार्ड मेंबर के चुनाव में भी टिकट बेचना चालू कर दिया है। और उससे भी बहुत ये लोग बड़े बड़े रक्कम लुटते हैं।
आम आदमी पार्टी के पतन का एक और कारण है कि केजरीवाल ने पार्टी में नए चेहरों को उभरने का मौका नहीं दे रहे हैं। पार्टी में केवल और केवल केजरीवाल नामक नेता की मोनोपोली बन गई है।
इसी कारण कुमार विश्वास, आशुतोष इन जैसे बड़े-बड़े नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया और भी नेता छोड़ेंगे क्योंकी पार्टी में केवल और केवल केजरीवाल ही अपनी मनमानी करते हैं।
इन सब घोटालों के पर्दाफाश होने से यह तो स्पष्ट हो गया है कि केजरीवाल अब ज्यादा दिनों तक दिल्ली में अपनी मनमानी नहीं करेंगे और दिल्ली की जनता इन्हें आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सबक जरूर सिखाएगी।
वैभव राठोड,
संपादक (News Tak Bharat)

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