NDA का मास्टर स्ट्रोक! विपक्ष हुआ धराशाही, VP उम्मीदवार देने में हुई चूक!
आखिर किस तरीके से एनडीए उपराष्ट्रपति उम्मीदवार और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु के कोयंबटूर से पूर्व सांसद श्री सीपी राधाकृष्णन को बनाकर बीजेपी ने OBC वर्ग को और साथ ही किसानों को भी लगभग साध लिया है।
बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के मामले में विपक्ष क्या चूक कर गया है?
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| NDA की जीत तय! |
बी सुदर्शन रेड्डी के रूप में विपक्ष ने एक गैर-राजनीतिक, निष्पक्ष, और संवैधानिक छवि वाले उम्मीदवार को चुना है, लेकिन यह रणनीतिक रूप से एक कमजोर फैसला है। एनडीए का ओबीसी किसान परिवार के सीपी राधाकृष्णन का चुनाव दक्षिण भारत के लिए एक राजनीतिक फैसला है। जिसका दूरगामी लाभ बीजेपी उठा सकती है।
विपक्षी INDIA गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित करके मास्टर स्ट्रोक खेलने का प्रयास किया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि गठबंधन ने सर्वसम्मति से उनका नाम तय किया है। वे उम्मीद जता रहे हैं कि कम से कम इंडिया गठबंधन के दलों का वोट तो उन्हें मिलेगा। साथ ही साथ ही आंध्र के दलों को लेकर भी दांव खेला जा रहा है कि उनका भी सपोर्ट मिल जाए। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ऐसा संभव है? दूसरा सवाल यह भी है कि जब विपक्ष को पता ही था कि चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करना प्रतीकात्मक ही है तो फिर कोई और कैंडिडेट क्यों नहीं किया? बी सुदर्शन रेड्डी एक राजनीतिक नाम नहीं हैं। जाहिर है कि उनके नाम से कोई राजनीतिक संदेश भी आम लोगों के बीच नहीं जाने वाला है।
सुदर्शन रेड्डी का नाम घोषित करने में देरी कर दी
सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला एनडीए गठबंधन के कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन से होगा। दोनों उम्मीदवार 21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि सभी पार्टियों ने सहमति से सुदर्शन रेड्डी का नाम फाइनल किया है। आइये देखते हैं कि सुदर्शन रेड्डी का नाम आगे बढ़ाकर इंडिया गठबंधन ने क्या हांसिल कर पाएगा।
यदि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने से पहले ही अपना विपक्षी खेमे का कोई उपराष्ट्रपति उम्मीदवार खड़ा कर देती तो शायद कुछ बात बन सकती थी। लेकिन अब ना तो उनके पास बहुमत है ना ही जीतने का दम।
तेलंगाना से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने एक तीर कई निशाने सादे हैं जिसका बड़ा सदमा कांग्रेस को डीएम के जैसे साथी दल का साथ खोने जैसा लग रहा है क्योंकि यह डीएमके पार्टी प्रमुख और वर्तमान में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के लिए धर्म संकट बन गया है। भारतीय जनता पार्टी के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा करते ही विपक्षी गठबंधन लगभग नेतृत्व विहीन हो चुका है।
NDA बड़े आराम से उपराष्ट्रपति चुनाव जीत जाएगी यह बात तो सुनिश्चित है।

