हरियाणा में किस पार्टी का सफाया होने जा रहा है?
पिछले 10 दिनों में हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा सियासी तूफान देखने को मिल रहा है और यह सियासी तूफान राज्य की राजनीति को एक नई दशा और दिशा में परिवर्तित करता हुआ नजर आ रहा है।
कुछ दिनों पहले ED मनी लॉन्ड्रिंग यानी पैसे के लेन देन (भ्रष्टाचार) के मामले में पश्चिम बंगाल में रेड करने के लिए पहुंची थी। हालांकि ED की टीम पर हमलावरों की तरफ से हमला हुआ था। तकरीबन 10 दिन पहले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह के घर पर ED की जांच चल रही थी, लेकिन इस खबर को ना हीं मीडिया ने और ना ही राज्य के समाचार पत्रों (अखबारों) ने इसे ज्यादा दिखाया। इस मुद्दे से दूरी बनाकर रखी और इस मुद्दे को एकदम साइड लाइन कर दिया था।
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JJP Vs RLD कौन जीतेगा? |
ED ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह और उनके एक साथी को (8 जनवरी 2024) को गिरफ्तार करने का यानी न्यायिक हिरासत में लेने का निर्णय लिया। यानी की साफ है कि दिलबाग की मुश्किलें अब बहुत हद तक बढ़ चुकी है। उनके पॉलिटिकल कैरियर पर ED का ग्रहण लग चुका है। बता दे कि दिलबाग के घर पर जांच एजेंसी ED को ढेर सारा पैसा मिला है।
कितना मिला है पैसा?
इतना कि कोई मामूली विधायक या पूर्व विधायक के लिए इतना पैसा कमाना वह भी इमानदारी से मुश्किल है,बहुत मुश्किल है,तकरीबन संभव!
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पूर्व विधायक दिलबाग और उनके साथी के घर से क्या–क्या मिला? (सूत्रों के मुताबिक)
- 5 करोड़ कैश
- 4 से 5 किलो सोना
- पाच राइफल (दो जर्मन मेड)
- 300 गोलियां
- शराब की 138 बॉटल
- विदेश में संपत्ति खरीदने के दस्तावेज
दिलबाग सिंह राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के पूर्व विधायक थे। जो कि, ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में काम कर रहे थे।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि 2019 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ओमप्रकाश चौटाला वाली को केवल एक विधानसभा सीट पर जीत मिली थी और लोकसभा चुनाव में तो राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ओमप्रकाश चौटाला को तो एक सीट भी नहीं मिली थी यानी खाता तक नहीं खुला था। इतनी बुरी स्थिति थी राष्ट्रीय लोक दल (ओम प्रकाश चौटाला) की, जो की सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की राज्य की राजनीति में ताकत जाने तो उनका केवल एक विधानसभा सदस्य है यानी कि केवल एक ही विधायक है उनकी पार्टी से जो कि पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला का खुद का बेटा अभय चौटाला है। जिन्होंने किसान आंदोलन के समय विधानसभा के सदस्यता से इस्तीफा देकर फिर से उपचुनाव में नामांकन भरकर फिर से उपचुनाव में जीत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 10,000 से कम मतों के अंतर से हराया था।
2019 के विधानसभा चुनाव में जब अभय चौटाला जीते थे तो कुछ ज्यादा अंतर था उनके जीतने का लेकिन जब उपचुनाव में उन्होंने नामांकन किया तब उनके जीतने का अंतर कम था यानी मतदाताओं में भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता बड़ी है और राष्ट्रीय लोकदल की लोकप्रियता घटी है। जो अब ED के इस एक्शन के बाद और भी घटने का तीव्र अनुमान है।
हरियाणा के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर भी काम कर रहे थे।
इस घटनाक्रम से लोकसभा चुनाव में क्या परिणाम होंगे?
इस घटनाक्रम से यह तो स्पष्ट है कि भ्रष्टाचारी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) का अंत निकट है।
इस पार्टी की ना तो हरियाणा राज्य में कोई लोकप्रियता बची है और ना ही हरियाणा की जनता मतलब मतदाताओं के मन में उनके प्रति ना ही कोई सहानुभूति बची है। रहा–सहा कसर उनके बड़े बेटे अजय चौटाला ने कर दिखाया। अजय चौटाला ने 2019 के चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) के रूप में हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने 10 विधायक जितवाकर ओमप्रकाश चौटाला और उनके छोटे भाई अभय चौटाला को उनकी हैसियत बता दी है।
हरियाणा की जनता अब ओम प्रकाश की ओर नहीं बीजेपी और अजय चौटाला की तरफ है।
वैभव राठोड,
संपादक (News Tak Bharat)