इस मीटिंग में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी (TMC) और महाराष्ट्र की शिवसेना उबाठा (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) इन दोनों पार्टी को छोड़ दे तो अभी सहयोगी दल इस वर्चुअल मीटिंग में उपस्थित थे।
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नीतिश निकालेंगे इंडी गठबंधन की हवा! |
आज की इस मीटिंग में कांग्रेस की ओर से नीतीश कुमार को
इंडिया गठबंधन के संयोजक यानी कन्वीनर बनाने का फैसला हुआ लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री और वर्तमान जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उनके संयोजक (कन्वीनर) बनाए जाने के फैसले को ठुकरा दिया है।
नीतीश कुमार ने यह कहा कि मुझे इंडिया गठबंधन का संयोजक और प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनना है। और ना ही मैंने कभी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की इच्छा जताई थी। मुझे देश सेवा करनी है। मैं चाहता हूं कि कांग्रेस या फिर किसी दूसरी विपक्षी पार्टी से इंडिया गठबंधन का संयोजक बने। मैं और मेरी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के संयोजक पद पर ना ही कभी दावा किया था और ना ही कभी दावा करेगी। यह सब सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने फैलाए हुई अफवाहे है इन सब का कोई तथ्य नहीं है। यह सब अफवा बुनियाद है और झूठे हैं।
इंडिया गठबंधन की 4 से 5 बार मीटिंग हो चुकी है लेकिन अब तक सीट शेयरिंग पर कोई भी फॉर्मूला सेट नहीं हुआ है।
इंडिया गठबंधन की इतनी बार मीटिंग हो चुकी है सीट शेयरिंग के साथ-साथ इस गठबंधन का कौन संयोजक (कन्वीनर) होगा? इस बात का भी फैसला अब तक नहीं हुआ है।
या फिर है कोई दूसरा कारण?
1) आप तो जानते ही है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कितने स्वार्थी और महत्वाकांक्षी है! ऐसे में उनका संयोजक बनने से इनकार कर देना अलग विषय बन जाता है।
2) सूत्रों के मुताबिक यदि नीतीश कुमार की पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए 16 से कम सीटे मिलती है तो उनकी पार्टी गठबंधन बदलने पर विचार कर सकती है और उन्होंने गठबंधन बदलने पर अपना रास्ता खुला रखा है।
संकेत जो की दर्शाते है कि नीतीश पाला बदलने को आतुर है, यानी कि पाला कभी भी पलट सकता है।
1) नीतीश कुमार ने जब से अपने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष के पद से हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये है। तभी से अटकले तेज है कि पाला बदलने को आतुर है नीतीश!
2) बीजेपी और नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला न करना, साथ ही मीडिया का बायकोट करना, जब भी उनसे ये सवाल पुछा जाता है नीतीश कुमार मीडिया वालों के इस सवाल पर चुप्पी साध लेते है, और सवालों को टाल देते हैं।
3) पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जन्मदिन पर उन्हें बधाई न देना और लालू परिवार से दूरी बनाए रखना।
4) पार्टी के अधिकतर सांसद और विधायकों का मानना है कि राजद(RJD) के साथ रहकर हमारा राजनीतिक अस्तित्व संकट में आ सकता है इसीलिए हमें गठबंधन बदल लेना चाहिए।
और भी कई संकेत है लेकिन इन सब वजह से यह तो स्पष्ट है कि बिहार में खरमास के बाद यानी दो-तीन दिन के अंदर बड़ा सियासी तूफान या फिर कहे तो भूचाल देखने को हमे और बिहार की जनता को मिल सकता है।
वैभव राठोड,
संपादक (News Tak Bharat)