Shivaji Statue Collapse - पीएम मोदी के इस दाव से पस्त हो गए उद्धव ठाकरे लगेगा जोरदार झटका!
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उद्धव को लगेगा जोरदार झटका? |
उद्धव ठाकरे आ गए बैकफुट पर हालत नाजुक कभी भी एक और बड़ा विस्फोट हो सकता है। महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में कभी भी एक बड़ा विस्फोटक निर्णय ले सकते हैं उद्धव ठाकरे कर सकते हैं अकेले लड़ने का ऐलान क्या है इसकी वजह?
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छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति विघटित हो गई। |
कल रविवार 1 सितंबर 2024 को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 26 अगस्त को ढह गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने को लेकर (जोडे मारो आंदोलन नाम दिया) महाराष्ट्र की महायुति सरकार (बीजेपी+शिंदे+अजीत) को घेरा। छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को गिरने को लेकर किया वक्तव्य कहा महायुति की सरकार ने किया घोटाला खा गए महाराज की मूर्ति के पैसे, महायुति ने घुस लिया है। महाराष्ट्र का अपमान हुआ ऐसी सब बातें उद्धव ठाकरे कर रहे थे। वह इस मुद्दे को राजनीतिक रूप देना चाहते थे वह कुछ हद तक सफल भी हो गए थे।
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क्यों विफल हुए उद्धव:
उद्धव ठाकरे की उम्मीदो पर पानी तब फिरा जब प्रधानमंत्री मोदी ने खुद भरे मंच से अपनी सरकार की गलतियों को माना और यह आश्वासन दिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति फिर से भव्य दिव्य तरीके से बनेगी और जिन लोगों ने ठेकेदारों ने आर्किटेक ने काम में घपला किया उन्हे कड़ी से कड़ी सझा देंगे।
महाराष्ट्र की धरती पर आते ही आज मैंने सबसे पहले मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में सिर झुकाकर क्षमा मांगी। पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, उसके लिए मैं उनसे भी क्षमा मांगता हूं, जो छत्रपति शिवाजी महाराज को पूजते हैं। pic.twitter.com/WKOREc3VYz
— Narendra Modi (@narendramodi) August 30, 2024
पीएम मोदी के साथ-साथ महाराष्ट्र की महायुति सरकार के तीनों त्रिमूर्ति:
१) मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
२) उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस
३) उपमुख्यमंत्री अजित पवार
इन तीनों ने भी सार्वजनिक मंच से माफी मांग कर उद्धव ठाकरे की जहरीली राजनीति को पनपने नहीं दिया।
पीएम मोदी और महायुति सरकार के त्रिमूर्ति इन लोगों की माफी ने उद्धव ठाकरे की बैंड बजा दी है। उद्धव ठाकरे को लग रहा था। इस मुद्दे को हवा देकर उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में एक बड़ा गेम चेंजर मुद्दा ले आएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया मुद्दा बड़ा होने से पहले ही बीजेपी और उनके सहयोगियों ने भाप लिया कि उद्धव इस मुद्दे पर एनडीए सरकार के खिलाफ जहर उगलेंगे और महायुती सरकार के लिए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बड़ी दिक्कत ला सकते हैं जिस कारण से NDA ने जल्दी से जल्दी माफी मांग कर इस मुद्दे को ज्यादा हवा न मिल पाए इसको लेकर ध्यान रखा।
यह मुद्दा ज्यादा बड़ा ना हो पाए इसे लेकर प्रयास किया और अब एनडीए ने उद्धव का मुद्दा छीन कर अपने कियेबप्रयास में उत्तीर्ण हो गए है।
मुद्दा छीनने के साथ-साथ यह पीएम मोदी ने एक नया मुद्दा बनाकर उद्धव ठाकरे को बैक फुट पर ला दिया:
पीएम मोदी ने कहा हम तो अपनी गलतियों को मान सकते हैं लेकिन जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जिन्होंने कड़ी यातनाएं झेली उनको लेकर अप–शब्द कहने वाले कब भरे मंच से माफ़ी मांगेंगे हम तो मांग सकते हैं लेकिन क्या कोई दूसरे दल वाले ऐसा कर सकते हैं?
वीर सावरकर का मुद्दा उछालकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने लगा दिए हैं:
- उद्धव ठाकरे बैक फुट पर चले गए हैं
- राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे की जोड़ी असहज हो गई है।
- दूसरों पर उंगली लगाने वाले उद्धव ठाकरे अब इस मुद्दे पर खुद घिर गए हैं।
- वीर सावरकर के मुद्दे को लेकर उद्धव ठाकरे के समर्थक वर्ग अब राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे की तरफ नेतृत्व की आस लगा रहे हैं क्योंकि उद्धव ठाकरे तो अब धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं।
- हिंदुत्व तो उन्होंने कब का छोड़ दिया यह विचारधारा लोगों के दिमाग में बसती जा रही है जिस कारण उद्धव की बौखलाहट साफ-साफ झलक रही है।
वैसे भी देखा जाए तो शिवसेना का पारंपरिक वोटर हमेशा 15 से 18% तक रहा है जिसमें से 13 या 14% तक का वोटबैंक उद्धव ठाकरे से छिटक कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास जाकर पहुंच गया है। जिसका प्रमाण है लोकसभा चुनाव में शिंदे की शिवसेना को मिला वोट बैंक
उद्धव ठाकरे अपने बने बनाए जाल में खुद फंस गए हैं अब लगता है विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलकर ही उन्हे आनंद की अनुभूति होगी।